Wednesday 20 March 2013

माँ से अलग हो कर

जब हम माँ से अलग हो कर

परदेश जाते थे ,

आँखों में दर्द की लहरें उमड़ने लगती|

उस वक्त यही लगता की हमने

ऐसा कौन सा गुनाह किया हैं

जिसकी यह सजा मिल रही हैं

कि एक बच्चा अपनी माँ से अलग हो रहा हैं

लेकिन परदेश में पढाई के लिए जाना जरूरी था

और मुझे सभ्य बनाने के लिए

माँ हर क़ुरबानी देने के लिए तैयार थी

मैं अपने सपनों को .....

माँ के पास सुरक्षित रख देता

और खामोश आकाश में छुपने के लिए

एक जगह तलाशता था

कि इतने में माँ धीरे से आवाज देकर बुलाती

और अपने कलेजे से लगाकर कहती ----

कि तुम परदेश में भी बहुत ही खुश रहोगें

वहां भी मेरी दुआ साथ रहेगी

इतना सुनते ही मैं भी हंसते हुए कहता

कि परदेश क्या चीज हैं ?

जब तक तुम्हारी दुआएं हैं तब तक ही यह जहाँ हैं

जब इतनी सी बात हो जाती तो

कान के पास आकर कहती कि

वहां अगर मेरी कितनी भी याद आये

तो एक मिनट के लिए भी मत रोना

नहीं तो लोग क्या कहेगे कि .....

एक माँ का बेटा कितना कमजोर दिल का हैं ?||

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