Wednesday 20 March 2013

मेरें गाँव में एक सड़क होती

अगर मेरें गाँव में

एक सड़क होती

तो आज मेरें बच्चें के पांव की

तकदीर कुछ और ही होती,

और मेरें लिए भी

कुछ कम सुविधाजनक नहीं होती

मैं भी सडकों पर

चलने का व्याकरण सीख लेता |

शहर में जाकर दावा करता की

मैं भी एक सभ्य आदमी हूँ

क्योकि मैं शहर की भीड़ में

चलना सीख लिया हूँ

लेकिन मैं जानता हूँ की

मेरा यह सपना कभी पूरा होने वाला नहीं हैं

क्योकि सरकार के पास गरीबों के

लिए समय नहीं हैं .......

इसलिए मैं अपना नंगा चेहरा पहनकर

और सीना तानकर कहता हूँ

अब यह बोझ हम नहीं उठाएंगे

और नींद में भी चिल्लायेगें

यह खेत --खलियान हमारा हैं

क्योकि हमारे बच्चें सीख लियें हैं क़ि

एक जंगल में रास्ता कैसे बनाया जाता हैं ||

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