Friday 15 March 2013

दिल्ली

जब दिल्ली में आग लगती हैं
तब ही क्यों कोई जागरूक बनता हैं ?
जब मेरा गाँव जल रहा था, या मेरा खेत
लूटा जा रहा था,
कहाँ सो गयी थी तुम्हारी चेतना
कहाँ बेच दिए थे अपनी मर्दानगी
इस घटना की कहीं क्यों नहीं छपी खबर।
जानते हो क्यों .......
गरीब/लाचार बाजार में बिकते नहीं
तुम्हारी मर्दानगी क्यों नहीं पुछती हैं
कोठे पर जो लड़की आयी हैं
वह भी तो किसी की बेटी होगी,किसी की
बहन होगी ...
क्यों नहीं उसे लेकर आये ।
जब दिल्ली जलती तभी बदन में
क्यों खुजली होती हैं,
क्यों बुद्धिजीवी भाई लोग ?
क्या तुम लोग भी राजा के तबलची हो गए हो,
जब हिंदुस्तान जलता हैं
तब यही दिल्ली,जले हुए जख्म पर नमक छिड़कती हैं ।
कल मेरा बाप भूख से मर गया
जिले का कलेक्टर अपनी रिपोर्ट में लिख दिया
मेरे बाप ने आत्महत्या की हैं
जंगलो में यही गुंडे
दिन रात आग मूतते हैं
तब क्यों नहीं कोई खड़ा होता भाई ?
बलात्कारी कभी लाचार या गरीब आदमी नहीं होता
वह बहुत ही शक्तिशाली और हरा खरगोश होता हैं
बिस्तर से निकलों ....
पत्नी का कमर पकड़ कर बहस मत करों
अब मैदान में आओ और कुछ कर के दिखाओं
किसी शहर में ना चल पाए
कोई चकला घर .....
कभी सुख्खू भूख से ना मर जाये ।।[नीतीश मिश्र ]  

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