क्या तुम्हें उस माँ का
चेहरा कभी --कभी याद आता हैं
जिसका एक बेटा
"रेपिस्ट"बन गया हैं
और दूसरा आतंकवादी
और तीसरा
शर्म से घबराकर
संयासी बन गया हैं।
क्या तुम्हें उस माँ की हालत के बारे में कुछ मालूम हैं?
उसकी पथरायी आँखों में
सपने भी
तैरने से पहले
हजारों तर्क करते हैं
क्या तुम जानते हो
वह माँ कबसे खामोश हैं?
जबसे वह स्त्री हैं
तभी से
चुप हैं .....
क्या तुम बता सकते हो
वह माँ कभी चैन से सोयी होगी?
नहीं जब चैन से पैदा नहीं हुई तो
चैन से सो कैसे सकती हैं
इतना सब कुछ होने के बाद भी
वह शाम को सजकर खड़ी रहती हैं
जिससे आज पति से कोई नई गाली
न सुनने को मिले ।
वह माँ यह सोचकर घबरा जाती हैं
अगर कोई बेटी पैदा हुई होती तो
उसका भी एक न एक दिन रेप हो जाता
तब वह क्या करती ........
माँ को थोड़ी सी राहत हैं
क्योकि उसकी कोई बेटी नहीं हैं
लेकिन वह चुप हैं
और एक
स्त्री होने की सजा को
वर्षों से पी रही हैं
मैं अभी --अभी इस माँ से
मिलकर आ रहा हूँ
और खामोश हूँ
क्योकि वह मेरे दिमाग में
बस गयी हैं .........
नीतीश मिश्र
चेहरा कभी --कभी याद आता हैं
जिसका एक बेटा
"रेपिस्ट"बन गया हैं
और दूसरा आतंकवादी
और तीसरा
शर्म से घबराकर
संयासी बन गया हैं।
क्या तुम्हें उस माँ की हालत के बारे में कुछ मालूम हैं?
उसकी पथरायी आँखों में
सपने भी
तैरने से पहले
हजारों तर्क करते हैं
क्या तुम जानते हो
वह माँ कबसे खामोश हैं?
जबसे वह स्त्री हैं
तभी से
चुप हैं .....
क्या तुम बता सकते हो
वह माँ कभी चैन से सोयी होगी?
नहीं जब चैन से पैदा नहीं हुई तो
चैन से सो कैसे सकती हैं
इतना सब कुछ होने के बाद भी
वह शाम को सजकर खड़ी रहती हैं
जिससे आज पति से कोई नई गाली
न सुनने को मिले ।
वह माँ यह सोचकर घबरा जाती हैं
अगर कोई बेटी पैदा हुई होती तो
उसका भी एक न एक दिन रेप हो जाता
तब वह क्या करती ........
माँ को थोड़ी सी राहत हैं
क्योकि उसकी कोई बेटी नहीं हैं
लेकिन वह चुप हैं
और एक
स्त्री होने की सजा को
वर्षों से पी रही हैं
मैं अभी --अभी इस माँ से
मिलकर आ रहा हूँ
और खामोश हूँ
क्योकि वह मेरे दिमाग में
बस गयी हैं .........
नीतीश मिश्र
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