कब्रिस्तान में
आत्माओं का
कोई माँ/बाप
या भाई -बहन नहीं होता,
इसीलिए
आत्माओं के अन्दर
कोई डर भय नहीं होता।
कब्रिस्तान की आत्माएं
इंद्र की अप्सराओं से
कहीं अधिक स्वतंत्र हैं
इंद्र के यहाँ श्राप और अपहरण
का भय बराबर बना रहता हैं ।
कब्रिस्तान में आदमी
खाना नहीं खाता हैं
और बच्चे भी नहीं पैदा करता हैं,
कुरान की आयते वहाँ राख हो चुकी होती हैं,
कब्रिस्तान में आत्माएं आजाद रहती हैं
और बीमार भी कभी नहीं पड़ती हैं
और पढ़ती भी कभी नहीं हैं
और तो और वहाँ
काले --गोरे का भी कोई भय नहीं होता हैं
कब्रिस्तान में आत्माएं बस प्यार करती हैं
धरती पर कब्रिस्तान ही एक ऐसी जगह हैं
जहाँ आदमी आज़ाद होकर
सिर्फ प्यार कर सकता हैं ..........
नीतीश मिश्र
आत्माओं का
कोई माँ/बाप
या भाई -बहन नहीं होता,
इसीलिए
आत्माओं के अन्दर
कोई डर भय नहीं होता।
कब्रिस्तान की आत्माएं
इंद्र की अप्सराओं से
कहीं अधिक स्वतंत्र हैं
इंद्र के यहाँ श्राप और अपहरण
का भय बराबर बना रहता हैं ।
कब्रिस्तान में आदमी
खाना नहीं खाता हैं
और बच्चे भी नहीं पैदा करता हैं,
कुरान की आयते वहाँ राख हो चुकी होती हैं,
कब्रिस्तान में आत्माएं आजाद रहती हैं
और बीमार भी कभी नहीं पड़ती हैं
और पढ़ती भी कभी नहीं हैं
और तो और वहाँ
काले --गोरे का भी कोई भय नहीं होता हैं
कब्रिस्तान में आत्माएं बस प्यार करती हैं
धरती पर कब्रिस्तान ही एक ऐसी जगह हैं
जहाँ आदमी आज़ाद होकर
सिर्फ प्यार कर सकता हैं ..........
नीतीश मिश्र
कब्रिस्तान में कम से कम यहाँ तो प्यार करने वाले आज़ाद है ....दुनिया की भीड़ से दूर ...
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