Saturday 16 March 2013

जीवन...

जीवन को मैनें सीप में से निकालकर 

सुबह --सुबह धूप में ......

एक खुसबू की तरह बिखेर दिया 

या फूलों /पत्तों में गूँथ दिया |

या गौरेया की आवाज में बांध दिया 

जीवन की यही निधि लिए

मैं अपने गुबार होते हुए दिल को

एक वृक्ष बना दिया

या कुदाल /हंसिया की एक धार बना दिया

या गोली /बारूद ,बम बना दिया

जो जीवन की हर लहर पर

अपनी दस्तक देता रहेगा |



नीतीश मिश्र 

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