जीवन को मैनें सीप में से निकालकर
सुबह --सुबह धूप में ......
एक खुसबू की तरह बिखेर दिया
या फूलों /पत्तों में गूँथ दिया |
या गौरेया की आवाज में बांध दिया
जीवन की यही निधि लिए
मैं अपने गुबार होते हुए दिल को
एक वृक्ष बना दिया
या कुदाल /हंसिया की एक धार बना दिया
या गोली /बारूद ,बम बना दिया
जो जीवन की हर लहर पर
अपनी दस्तक देता रहेगा |
नीतीश मिश्र
सुबह --सुबह धूप में ......
एक खुसबू की तरह बिखेर दिया
या फूलों /पत्तों में गूँथ दिया |
या गौरेया की आवाज में बांध दिया
जीवन की यही निधि लिए
मैं अपने गुबार होते हुए दिल को
एक वृक्ष बना दिया
या कुदाल /हंसिया की एक धार बना दिया
या गोली /बारूद ,बम बना दिया
जो जीवन की हर लहर पर
अपनी दस्तक देता रहेगा |
नीतीश मिश्र
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