Saturday 9 March 2013

कब्रिस्तान में हिजड़े

कब्रिस्तान /श्मशान जैसी
चौथी दुनियां को
मैं,लगातार देख रहा हूँ
और दावे के साथ कहता हूँ
पुनर्जन्म होता हैं
लेकिन हुलिया कभी नहीं बदलता हैं।

कब्रिस्तान में
सबसे अलग तरह की कब्र
हिजड़ों की होती हैं
क्योकि धरती पर
उनका जीवन भी
बहुत ही अलग तरह का होता हैं
शरीर में भी दो गुण
और आत्माओं में भी दो गुण
पर उनके दुखों में कोई गुण नहीं होता ।

कब्रिस्तान में भी
वे अशिक्षित और बेरोजगार हैं
जैसे --धरती पर
उनके पास कोई सुविधा नहीं थी
ठीक वैसे ही
कब्रिस्तान में भी
वे सुविधावों से वंचित हैं

कब्रिस्तान में भी
जातिवाद /पूंजीवाद का बोलबाला हैं
वहां भी उसी का चलता हैं
जिसकी धरती पर तूती बोलती थी

हिजड़ों की आत्माओं को नहीं मालूम हैं
भाई /बहन का क्या मतलब होता हैं
उन्हें ये भी नहीं मालूम हैं कि
गाँधी कब पैदा हुए थे
या अपना देश कब गुलाम हुआ था


उनकी आत्माएं बस
दिल्ली को पहचानती हैं
क्योकि दिल्ली ही
एक ऐसी जगह हैं
जो चौथी दुनियां में भी
अपना दखल रखती हैं
उनकी निगाह में दिल्ली
ईस्वर /यमराज दोनों हैं ।

मेरा दावा बिल्कुल सही हैं
पुनर्जन्म में
रूप /लिंग और सत्ते का परिवर्तन
बिल्कुल ही नहीं होता
क्योकि चौथी दुनियाँ की
रिपोर्ट मेरे पास हैं । ।


नीतीश मिश्र 

1 comment:

  1. Bahot hi accha lekhan kar rahe hain Nitish ji..Meri aur se badhai..-Kundan Kumar

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