Tuesday 5 March 2013

कब्रिस्तान

कब्रिस्तान को देखने
शहर से अब कोई नहीं आता
जबकि पता सभी को मालूम रहता हैं,
शहर,का सबसे खराब स्थान
कब्रिस्तान का ही होता हैं
क्योकि उसके पास
कोई सीधी आवाज नहीं होती हैं ।
बस्तियों के बीच
कहीं दूर
सैन्धव सभ्यता से भी अधिक समय से खामोश हैं
कब्रिस्तान,मुझे देखकर
कुछ देर के लिए हँसता हैं
शायद ! बहुत कुछ मेरा चेहरा
उसके चेहरे से मिलता जुलता हो
जब आदमी किसी काम का नहीं रह जाता हैं
तब वह कब्रिस्तान की यात्रा करता हैं।

कब्रिस्तान,आज सबसे अधिक दुखी हैं
क्योकि कोई भी जब भी आया
रोते हुए ही आया
कब्रिस्तान आज तक
नहीं देखा हैं किसी को भी हँसते हुए
वह नहीं देख पाया हैं
बच्चों को खिलौनों से कभी खेलते हुए
या किसी युगल को प्यार करते हुए
या किसी को चोरी करते हुए
कब्रिस्तान केवल
सदियों से एक ही आवाज को पहचानता हैं
आँसुओं और सिसकियों की ॥ 

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