Saturday 16 March 2013

बातें

अपने प्यार की कुछ बातें
रह जाती हैं हवाओं के जिस्म में
और कुछ दीये की रोशनी में
प्यार में अनकही बातों का स्पंदन
नदी के तट पर हमें अक्सर बुलाती हैं
हमें प्यार की कुछ बाते याद आती हैं
जिन्हें हमने अभी तक कहा नहीं हैं
वो बाते चाय पीते वक्त
हम अपनी आँखों से
हरे --भरे आकाश में लिखते -रहते हैं
हम अपने प्यार में
ऐसे ही कुछ भीगते हुए
लिखते हैं एक ऐसी कविता
जो कल्पना न होकर
एक आवाज लगती हैं ।

नीतीश मिश्र


No comments:

Post a Comment