आज काम पर निकलने से पहले
मैंने तय किया, आज धूप की तरह
खुश होकर महकुंगा,
आज किसी भी शर्त पर
उदासी को अपने पास नहीं आने दूंगा ..
सड़क पर चलते ही
पहली मुलाकात बच्चों की
टोली से होती हैं
जो अपने बचपन को बहुत पीछे छोड़कर
हाथों में काम का हुनर लिए
अपने चहरे पर लाचारी को पहनकर
अपनी मासूम जिंदगी को चौराहे पर बेच रहें हैं,
कुछ औरते महिला होने के भय से मुक्त होकर
पानी और धूप से बराबर लड़ने के लिए तैयार हैं
मेरे देश की दो तिहाई आबादी भूख के साथ
समझौता कर के आदमी होने के भ्रम से मुक्त होकर
दम तोड़ने के लिए अभिशप्त हैं ...........
भला!ऐसे लोगों के साथ रहकर
मैं कैसे खुश हो सकता हूँ .........
अगर मैं खुश होने का कोई कारण तलाश करूं
तब मैं देश का सबसे बड़ा हत्यारा साबित हो जाऊंगा ......
नीतीश मिश्र
मैंने तय किया, आज धूप की तरह
खुश होकर महकुंगा,
आज किसी भी शर्त पर
उदासी को अपने पास नहीं आने दूंगा ..
सड़क पर चलते ही
पहली मुलाकात बच्चों की
टोली से होती हैं
जो अपने बचपन को बहुत पीछे छोड़कर
हाथों में काम का हुनर लिए
अपने चहरे पर लाचारी को पहनकर
अपनी मासूम जिंदगी को चौराहे पर बेच रहें हैं,
कुछ औरते महिला होने के भय से मुक्त होकर
पानी और धूप से बराबर लड़ने के लिए तैयार हैं
मेरे देश की दो तिहाई आबादी भूख के साथ
समझौता कर के आदमी होने के भ्रम से मुक्त होकर
दम तोड़ने के लिए अभिशप्त हैं ...........
भला!ऐसे लोगों के साथ रहकर
मैं कैसे खुश हो सकता हूँ .........
अगर मैं खुश होने का कोई कारण तलाश करूं
तब मैं देश का सबसे बड़ा हत्यारा साबित हो जाऊंगा ......
नीतीश मिश्र
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