वो खुश हैं आज
क्योकि मैं मौन होकर
बना रहा हूँ
रेत में
प्यार का घर
जहाँ जलती रहे
मेरे धमनियों से रोशनी
और वह पढ़ती रहे
मेरी सांसो की आयतों को
और मैं
देर तक लिखता रहूँ
उसके लिए कोई कविता ........
नीतीश मिश्र
क्योकि मैं मौन होकर
बना रहा हूँ
रेत में
प्यार का घर
जहाँ जलती रहे
मेरे धमनियों से रोशनी
और वह पढ़ती रहे
मेरी सांसो की आयतों को
और मैं
देर तक लिखता रहूँ
उसके लिए कोई कविता ........
नीतीश मिश्र
No comments:
Post a Comment