Wednesday 6 July 2016

दिल्ली केवल भाषा है

दिल्ली एक आईना है 
जहाँ हर कोई अपना चेहरा देखना चाहता है 
दिल्ली एक किताब है 
जहाँ पूरा हिंदुस्तान अपना अध्याय खोज रहा है 
दिल्ली एक जूते के समान है 
जिसे हर पाँव पहनना चाहता है 
दिल्ली एक बेल्ट है 
जिसे सभी लोग कमर में कसना चाहते है 
दिल्ली एक पर्स है 
जो किस्मत बदलने का हूनर सिखाती है 
लेकिन मेरे लिए दिल्ली केवल भाषा है 

Friday 1 July 2016

सड़क सब कुछ जानती है

तुम कहाँ हो
तुम कैसी हो
मुझे नहीं मालूम 
कई बार जानना चाहा
पर परिंदों की तरह शाम को अजान होने से पहले
खाली मुंह वापस लौट आता
लेकिन तुम्हारे बारे में मुझसे अधिक
सड़के जानती है
हर सड़क को मालूम है
तुम्हारा वजन कितना है
हर सड़क को मालूम है
तुम्हारे पाँव में जूते किस नंबर के आते है
शहर की सभी सड़के जानती है
तुम कब बालों में दो चोंटी करती थी
तुम कब डरती थी
तुम कब खुश होती थी
तुम कबसे साड़ी पहनना शुरू कर दी
शहर की सभी सड़के जानती है
तुम आखिरी बार मुझसे मिलकर कहाँ गई
लेकिन आज तक यह सड़के तुम्हारे बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताई
मैंने सड़को से हजार बार तुम्हारे बारे में पूछा होगा
पर हर बार सड़के मौन होकर मेरी तरफ देंखती है और मुस्कुरा देती है।
तुम खुद को लाख नास्तिक कहो लेकिन
सड़के बताती है
तुम आस्तिक थी।।