Friday 1 July 2016

सड़क सब कुछ जानती है

तुम कहाँ हो
तुम कैसी हो
मुझे नहीं मालूम 
कई बार जानना चाहा
पर परिंदों की तरह शाम को अजान होने से पहले
खाली मुंह वापस लौट आता
लेकिन तुम्हारे बारे में मुझसे अधिक
सड़के जानती है
हर सड़क को मालूम है
तुम्हारा वजन कितना है
हर सड़क को मालूम है
तुम्हारे पाँव में जूते किस नंबर के आते है
शहर की सभी सड़के जानती है
तुम कब बालों में दो चोंटी करती थी
तुम कब डरती थी
तुम कब खुश होती थी
तुम कबसे साड़ी पहनना शुरू कर दी
शहर की सभी सड़के जानती है
तुम आखिरी बार मुझसे मिलकर कहाँ गई
लेकिन आज तक यह सड़के तुम्हारे बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताई
मैंने सड़को से हजार बार तुम्हारे बारे में पूछा होगा
पर हर बार सड़के मौन होकर मेरी तरफ देंखती है और मुस्कुरा देती है।
तुम खुद को लाख नास्तिक कहो लेकिन
सड़के बताती है
तुम आस्तिक थी।।

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