मुझसे अधिक बारिश का इंतजार
मेरे जूते को हैं ....
आत्मा को कभी कभी
पानी नसीब हो जाता हैं
मेरी सजगता के चलते जूते की प्यास नहीं बुझती
जूता तभी भींगता हैं
जब बारिश होती हैं
मेरा जूता इस वक्त मरने के कगार पर हैं
इसके बाद भी
इंद्र को हर रोज ढेंगा दिखाता हैं
जब मेरा जूता भींगता हैं
उसके बाद मेरी आत्मा भींगती हैं
जूता हर रोज आसमान को देखता हैं
और पूछता हैं इंद्र यही छुपे है॥
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