Friday 28 March 2014

एक खूबसूरत लड़की

मेरे गाँव  की  सबसे खूबसूरत लड़की
जो पढ़ी - लिखी नहीं थी
पर उसके किस्से बहुत दूर -दूर तक सुनाई देते थे
गाँव  के लड़को  और मर्दो के लिए वह एक पहेली सी थी
सारे लड़को और मर्दो के पास जब समय होता था
तब उसी के बारे में तमाम कहानियां बुनते रहते थे
मैं गाँव  जितनी  बार गया
हर बार लड़की से जुड़ा हुआ एक नया किस्सा सुनने को मिलता
हर व्यक्ति खूबसूरत लड़की के बारे में ऐसी बात करते थे
जैसे उनके पास कोई और समाचार न रह गया हो ।

गाँव  के सारे पुरुष रात को इस उम्मीद से सोते थे कि
उसे सपने में वे जरूर देख लेंगे

खूबसूरत लड़की को कभी - कभी अपनी खूबसूरती से नफ़रत होने लगती थी
क्योकि वह घर से कभी अकेले बाहर  नहीं निकल पाती थी
वह सोचती रहती थी
आत्महत्या के बारे में
खूबसूरत लड़की  नहीं जान  पाती  गांव की रोज की बातो को
उसके पास जो भी  आती थी वह बहुत पुरानी  होती थी
एक दिन खूबसूरत लड़की
एक खूबसूरत लड़के के साथ भाग गई
धीरे -धीरे लोग उसे भूल गए
पर अभी भी लोग जब अपनी बीबियों और लड़कियों को गालियां देते थे
तब खूबसूरत लड़की का नाम जरूर लेते थे
गांव की सारी लड़कियां यह जरूर कहती थी कि
खूबसूरत लड़की कभी कायर नहीं रही
आज सारी  लड़कियां खूबसूरत लड़की को अपना हीरोइन ही मानती थी
एक दिन अख़बार में खबर आई की
खूबसूरत लड़की विधायक बन गई
फिर गांव के सारे पुरुष उसकी
खूबसूरती पर गालियां देने लगे
एक दिन खूबसूरत लड़की से मेरी मुलाकात हुई
खूबसूरत लड़की ने बताया की
औरत कुछ भी कर के दिखा दे
पर पुरुष हमेशा उसकी देह को लेकर एक नई गाली देता हैं । ।

Monday 10 March 2014

मैं अपनी माँ का सिकंदर नहीं हूँ

यदि कभी.. .
मैं  बाबूजी के साए को
छूकर घर से निकलता
मैं दुबारा घर पर सिकंदर की तरह वापस आता
लेकिन ! मेरी यह खुशनसीबी हैं
मैं घर छोड़ने से पहले
अपनी माँ के साए को छूकर निकलता हूँ
माँ यह सोचकर खुश होती हैं
उसका बेटा लाख कायर हो
पर सिकंदर कि तरह घर पर कभी वापस नहीं आएगा ।

हाँ ! मैं सिकंदर नहीं हूँ.. . .
जो घर छोड़ने से पहले यह वादा करूँ कि
एक दिन सारी दुनियां मेरी मुट्ठी में होगी
और जो दुनियां और जो हवा और जो बारिश
 मुझे वर्षों से अपनी मुट्ठी में रखकर पालती आई
उसे ही सिकंदर बनकर छोड़ दूँ
क्या मेरे सिकंदर बन जाने से
यह दुनियां मुझे अपना लेती ?
हाँ ! मैं सिकंदर नहीं हूँ
जो मरने से पहले
अपनी स्मृतियों का कायदे से कफ़न भी न पहन सकूँ ।

इसलिए मैं घर से निकलने से पहले
अपनों को पुनः पाने के लिए
यही कहते हुए निकलता हूँ
कि हाँ ! मैं सिकंदर नहीं हूँ
मेरे मुंह से यह वाक्य सुनकर
माँ की हड्डियां फिरसे एक बार जीवित हो जाती हैं
और वह उम्र के आगे की एक दहलीज पर खड़ी होकर
आँखों से ऐसे हंसती हैं
जैसे उसकी आँखे कभी रोयी न हो ।
मैं दुनियां के किसी भी कोने से चाँद को देखता हूँ
माँ को चाँद के बीचोबीच ही सूत काटते हुए पाता हूँ
और जब कभी कोई रंग मुझे अपनी और घेरता हैं
माँ की साड़ियों के रंग याद आने लगते हैं
और जब भी मैं कोई खेत में फसल देखता हूँ
तो याद आता हैं
मेरे खेत में एक कछुए का दिन भर आराम से सोना
मैं सोचता हूँ
काश ! सिकंदर के पास भी ऐसी कुछ स्मृतियाँ होती तो
तो उसकी माँ भी हंसती हुई मौत के पार  जाती । ।
नीतीश मिश्र

Saturday 8 March 2014

यमराज भी माँ के साथ एक बेटे की तरह रहता हैं

यमराज भी माँ के साथ
एक बेटे की तरह रहता हैं.…
जबकि माँ को मालूम हैं
उसके साथ एक ऐसा सांप हैं
जो कभी भी फुँफकार सकता हैं.....
इसके बावजूद भी
माँ कनई में से जीवन को छानकर
सदियों से धूप की अरगनी पर
छोटी --छोटी तमाम खुशियों को
सुखा  रही हैं ।
उसकी जरा -जरा सी बात पर
यमराज उसके साये मैं बैठकर कभी हँसता हैं तो कभी रोता हैं
यह सोचकर कि कहीं वह अपने उद्देश्य में असफल न हो जाए
माँ कभी हवा को तो कभी बारिश को मनाती हुई कुछ देर के लिए
बटोरने लगती हैं अपने बच्चों कि खातिर वह तमाम खुशियां
जिसे एक आदमी कभी भी नहीं दे सकता
शायद ! उसकी इसी कला पर यमराज कुछ ऐसे रिझ गया हैं
कि वह भी माँ को माँ कहना शुरू कर दिया । ।
नीतीश  मिश्र

Friday 7 March 2014

सुबह की
यह सोचकर उदास हैं
उसका क्षण भर का प्यार
और क्षण भर का जीवन
धूप की फा में दहन हो जायेगा
और उसे कभी याद नहीं आएगी
कि उसने भी कभी प्रेम किया था |
नीतीश मिश्र

Sunday 2 March 2014

एक माँ खूबसूरत इसलिए होती हैं

एक माँ खूबसूरत इसलिए होती हैं
क्योकि  वह अपने मरने पर
अपने बच्चो के आसूओं को लेकर
अपने साथ लेकर चली जाती हैं ।
माँ अपने होने का साक्ष्य
बांसुरी की तरह सदैव देती रहती हैं
एक माँ का जिंदगी के बज्म से उठना
यही लगता हैं कि किसी ने
आसमान से चाँद को चुरा लिया हैं ।
और बच्चे अपने नंगे चेहरे पर अँधेरे को पहनकर
छेड़ दिए हैं अँधेरे के खिलाफ एक जेहाद
आने वाले इतिहास में दर्ज होगा अब
बच्चो द्वारा छेड़ा गया एक जेहाद ।

नीतीश  मिश्र

एक माँ खूबसूरत होती हैं

एक माँ  बहुत खूबसूरत इसलिए होती हैं
वह अपने मरने पर
अपनेक्योंकि बच्चों के आसूंओ को लेकर
अपने साथ लेकर चली जाती हैं।
एक माँ अपने सुर को
बच्चों की आत्मा की बांसुरी में भरकर
अपने होने का सदैव प्रमाण देती रहती हैं

लेकिन ! जिंदगी के बज्म से माँ का उठना
यही अहसास कराता हैं
आसमान से किसी ने सरेआम चाँद को चुरा लिया हैं
और बच्चे अपने नंगे चेहरे पर
अँधेरे को पहनकर
छेड़ दिए हैं एक जेहाद अँधेरे के
लेकिन ! यह जेहाद
इतिहास के फैसलो में कहीं भी दर्ज नहीं होने वाला हैं
क्योकि हमारा इतिहास
राजाओं के हरम से आगे की बात नहीं करना चाहता हैं । ।

नीतीश  मिश्र