Saturday 12 January 2013

मैंने खुदा को देखा हैं

मैंने खुदा को देखा हैं,
कभी रोटी बेलते हुए 
कभी रोटी सेकते हुए 
कभी हल -बैल के साथ दौड़ते हुए,

मैंने खुदा को देखा हैं 
सर पर थोड़ा सा धूप लिए 
और माटी में अपनी खोयी हुई 
तक़दीर को खोजते हुए।

मैंने खुदा को देखा हैं 
कभी प्यासें ओठं लिए 
आँखों से पानी खोजते हुए 

मैंने कल ही खुदा को देखा हैं 
थोड़ा सा थके हुए 
कुछ कमर से झुके हुए 
अपने बच्चों के लिए 
तालीम से रंगा हुआ एक रास्ता बनाते हुए 

मैंने खुदा को देखा हैं 
मस्जिद से दूर 
पत्थर की शिलाओं पर 
 कुरान की आयतों को तराशते हुए 

हाँ!मैंने कल ही खुदा को देखा हैं 
साहूकार से कर्ज़ लेकर 
अपनी लड़की के लिए दहेज़ जुटाते हुए 
हाँ मैंने खुदा को देखा हैं 


नीतीश मिश्र .......12.01 201

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