Saturday 26 January 2013

लौटना

मैं,जब कभी लौटकर
थका/हारा आऊंगा
तुम्हारे चौखट पर
तो क्या तुम मुझे पहचान लोगी?
उस क्षण .....
जब मेरे पास
तुम्हारे सिवा कोई दूसरा
सपना नहीं होगा।
मेरे पास जब कोई शब्द नहीं होगा
और ना ही कोई शक्तिपुंज
जिससे मैं,तुम्हें अपनी बाँहों में भींच सकूँ
और मेरे पास अपनी कोई
परछाई भी नहीं होगी
क्या ऐसे में तुम मुझे स्वीकार कर लोगी
जब मेरे पर्स में
कुछ रेचकारियां बची रहेंगी
जिससे मैं नहीं खरीद सकता
तुम्हारे लिए कोई सपना
क्या तब भी तुम मुझे
उतना ही प्यार करोगी
यदि हाँ!
तो बची रहेगी
हममे अपने युग की संस्कृति ......।।

नीतीश मिश्र

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