Wednesday 9 January 2013

09th January

तुम्हारी अनुपस्थिति में 
मैं फ्यूज बल्ब की तरह 
अपने होने की 
बस रश्म अदायगी भर कर रहा हूँ ....
निहत्था हूँ .....
एक अर्धसत्य की तरह 
कभी दीवालों में 
कभी लोगों के खाली दिमाग में 
एक शूल की तरह चुभता हूँ .......
खुदा से भी कोई 
फरियाद नहीं हैं मेरी
बस मैं उसका शुक्रगुजार हूँ तो
बस इसबात के लिए कि
तुम भुलाए भी नहीं भूली
कभी इस दिल से ............

...........नीतीश मिश्र .............

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