Friday 25 January 2013

भूलना ...

जीवन मेरा
कितना भी उदास
क्यों ना हो ....
पर यादों की बारिश में
तेरे साथ भींगना
मुझे बहुत ही
अच्छा लगता हैं
तुझे याद --याद करते
मेरे पास तुझे भूलने के लिए
कोई समय ही नहीं शेष रहता हैं।

तुझे भूलने के लिए भी
तुम्हें ही याद करता हूँ
मैं नहीं जानता हूँ कि
यह मेरी कोई कमजोरी हैं
अगर यह मेरी कमजोरी हैं
तब भी मैं इसका स्वागत ही करूँगा
क्योकि तेरी याद के सहारे ही
मैं जानता हूँ कि
जंगल में कितना अँधेरा होता हैं
या सागर कितना खुश हैं
या एक बांसुरी में कितना स्वर हैं
या एक दीये में कितनी ताक़त हैं
या एक कोरे कागज पर अभी
क्या लिखा जा सकता हैं
या मेरे अकेलेपन का अर्थ
क्या हो सकता हैं
मुझे मंजिल नहीं मिलेगी
लेकिन तेरी यादों का
एक फलसफा तो जरूर मिलेगा ।


नीतीश मिश्र


No comments:

Post a Comment