तुम हिन्दू हो
और मैं,मुसलमान
और हमारा प्यार
इन सबसे न्यारा .......
पर दुनिया की दस्तूर ही
कुछ ऐसी हैं .......
जो प्यार के सभी समीकरण के
खिलाफ होती हैं ......
पर मैं दुनियां से
पूछना चाहता हूँ
कि जब तुम
सड़क या घर में रहती हो
तब क्यों तुम्हें लोग
एक औरत की निगाह से देखते हैं ?
क्यों आँखों में
लालच के लावे फूटने लगते हैं
अरे !जब मैंने प्यार कीया था
तब तुम एक औरत थी और मैं एक आदमी था
फिर जब साथ आने की बात हुई
तब तुम हिन्दू हो गयी
और मैं मुसलमान
ये किसकी दुनियां हैं
किसी कस्साई की
या किसी पंडित की
ये दुनियां बस प्यार की
......नीतीश मिश्र .......
और मैं,मुसलमान
और हमारा प्यार
इन सबसे न्यारा .......
पर दुनिया की दस्तूर ही
कुछ ऐसी हैं .......
जो प्यार के सभी समीकरण के
खिलाफ होती हैं ......
पर मैं दुनियां से
पूछना चाहता हूँ
कि जब तुम
सड़क या घर में रहती हो
तब क्यों तुम्हें लोग
एक औरत की निगाह से देखते हैं ?
क्यों आँखों में
लालच के लावे फूटने लगते हैं
अरे !जब मैंने प्यार कीया था
तब तुम एक औरत थी और मैं एक आदमी था
फिर जब साथ आने की बात हुई
तब तुम हिन्दू हो गयी
और मैं मुसलमान
ये किसकी दुनियां हैं
किसी कस्साई की
या किसी पंडित की
ये दुनियां बस प्यार की
......नीतीश मिश्र .......
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