Wednesday 6 July 2016

दिल्ली केवल भाषा है

दिल्ली एक आईना है 
जहाँ हर कोई अपना चेहरा देखना चाहता है 
दिल्ली एक किताब है 
जहाँ पूरा हिंदुस्तान अपना अध्याय खोज रहा है 
दिल्ली एक जूते के समान है 
जिसे हर पाँव पहनना चाहता है 
दिल्ली एक बेल्ट है 
जिसे सभी लोग कमर में कसना चाहते है 
दिल्ली एक पर्स है 
जो किस्मत बदलने का हूनर सिखाती है 
लेकिन मेरे लिए दिल्ली केवल भाषा है 

2 comments:

  1. बहुआयामी अर्थव्यापार का बोध कराने वाली बेहतरीन कविता

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  2. बहुआयामी अर्थव्यापार का बोध कराने वाली बेहतरीन कविता

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