नव वर्ष उस लड़की के लिए
जो दूब की तरह साँस ले रही हैं
चट्टानों के बीच ........
अपने देह से उबर कर
एक नए खजुराहो की खोज में जुटी हुई हैं।
नव वर्ष उस औरत के लिए
जो वर्षों से पुरुष के पसीने से भींग रही हैं
बारिश से बचा लेती हैं खुद को
पर पसीने से जब भी लड़ना चाहती हैं
गाली/मार के आगे झुक जाती हैं।
नव वर्ष उस लड़के के लिए
जो अपनी माँ को कोहरे में
लगातार ढूंड रहा हैं
इस उम्मीद से की पूष की रात काटने के लिए
कम से कम एक स्वेटर उसके पास होता ........
नव वर्ष उस माँ के लिए
जिसने अपने बच्चे को गवां देने के बाद भी
उसकी याद को जिंदगी की एक दवा मानकर
खुद से लगातार लड़ रही हैं .............
नीतीश मिश्र
जो दूब की तरह साँस ले रही हैं
चट्टानों के बीच ........
अपने देह से उबर कर
एक नए खजुराहो की खोज में जुटी हुई हैं।
नव वर्ष उस औरत के लिए
जो वर्षों से पुरुष के पसीने से भींग रही हैं
बारिश से बचा लेती हैं खुद को
पर पसीने से जब भी लड़ना चाहती हैं
गाली/मार के आगे झुक जाती हैं।
नव वर्ष उस लड़के के लिए
जो अपनी माँ को कोहरे में
लगातार ढूंड रहा हैं
इस उम्मीद से की पूष की रात काटने के लिए
कम से कम एक स्वेटर उसके पास होता ........
नव वर्ष उस माँ के लिए
जिसने अपने बच्चे को गवां देने के बाद भी
उसकी याद को जिंदगी की एक दवा मानकर
खुद से लगातार लड़ रही हैं .............
नीतीश मिश्र
No comments:
Post a Comment