अगर मेरी मौत भी हो तो
माँ की आँखों के घने
साये के छाँव में हों,
कम से कम मैं मरने से पहले
माँ को जी भर कर देख सकूँ |
क्योकि उसी ने मुझे रात--दिन
गढ़कर एक आदम बनाया हैं
मरने से पहले
उसके हाथों को छू लूँ
जिसकी अँगुलियों ने हमेशा
मुझे एक रास्ता दिखाया हैं ||
जब कभी वतन से बाहर जाता हूँ
मेरी हर साँस की लय में
उसकी ही यादें बरसती हैं
मुझे अपने वतन के सरहद का एहसास
तब होता हैं .....
जब माँ मुझे गले से लगाकर कहती हैं
तूँ: एक दिन
अँधेरें की रोशनी जरूर बनेगा ||
माँ की आँखों के घने
साये के छाँव में हों,
कम से कम मैं मरने से पहले
माँ को जी भर कर देख सकूँ |
क्योकि उसी ने मुझे रात--दिन
गढ़कर एक आदम बनाया हैं
मरने से पहले
उसके हाथों को छू लूँ
जिसकी अँगुलियों ने हमेशा
मुझे एक रास्ता दिखाया हैं ||
जब कभी वतन से बाहर जाता हूँ
मेरी हर साँस की लय में
उसकी ही यादें बरसती हैं
मुझे अपने वतन के सरहद का एहसास
तब होता हैं .....
जब माँ मुझे गले से लगाकर कहती हैं
तूँ: एक दिन
अँधेरें की रोशनी जरूर बनेगा ||
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