Tuesday 19 March 2013

मैं जाना चाहता हूँ

मैं जाना चाहता हूँ

उस आदमी के पास

जो पूरी ईमानदारी से जोड़ रहा हो,

बच्चों के टूटे हुए खिलौनों को

या गड़ रहा हो पेन्सिल या कोए किताब

या इजाद कर रहा हो कोए नया खिलौना

जो बच्चों के लिए एक सबक बन सके

या तराश रहा हो कोई ऐसी पाठशाला

जहाँ कोए जाति का रंग न हो,

मैं जाना चाहता हूँ

उस आदमी के पास

जो बनता हैं लोगो की टूटी हुई चप्पलें

मैं जाना चाहता हूँ उस मजदुर के पास

जो अपने सर पर आसमान लिए

पुरे शहर में घुमाता रहता हैं

मैं जाना चाहता हूँ उस आदमी के पास

जो बनता हैं लोगो के लिए आईने

ताकि लोग अपना चेहरा देखकर

कम से कम औरों को भी तो एक

आदमी माने ......|

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