Wednesday 20 March 2013

मेरी जिंदगी रोज मुझसे कुछ ना कुछ मागंती हैं

मेरी जिंदगी रोज मुझसे कुछ ना कुछ मागंती हैं
कभी किसी दूसरे के दर्द का हिसाब तो कभी
किसी के खोये हुए ख्वाब का अर्थ ......
कभी किसी के मंजिल का पता मांगती हैं
मैं अपनी जिंदगी से जितना ही दूर जाना चाहता हूँ
वह मेरे उतने ही पास आ जाती हैं
और एक आईने की तरह खड़ी होकर
मेरी नजरो में दुनियां की एक ऐसी तस्वीर पेस
करती हैं
जिसको देखकर मैं कुछ देर के लिए सिहर जाता हूँ
जब एक बच्चा आ कर अपनी माँ का पता पूछता हैं
या कोई मजदुर अपनी भूख कारण जानना चाहता हैं
मैं कुछ देर के लिए खामोश होकर
सोचने लगता हूँ की आखिर कार कब तक लोग बाग
अपने को दिलासा दिलाते रहेंगे
एक दिन कोई यूँ ही अपने हाथों में बन्दुक उठा लेगा
और अधिकार के साथ मागेंगा अपना खेत ....जमीन

No comments:

Post a Comment