अन्धेरें में
जब मनु ने
मेरा साथ
छोड़ दिया
और मेरा भय
भविष्य से भी
ज्यादा भयाक्रांत हो गया
वर्तमान इतना ही था मेरे पास
जितना मेरे पास अपना नाम था
तब मुझे ज्योति मिली
वह भी बांसुरी में
मुझे यही लगा की यही मेरी अपनी
खोयी हुई संस्कृति हैं
यही मेरी व्यकतित्व की कोई अभिन्न परिभाषा हैं
और मैं अपने स्व को
अपने आसमान को
कभी ज्योति में
कभी एक बांसुरी में
देखता हूँ .............
नीतीश मिश्र
जब मनु ने
मेरा साथ
छोड़ दिया
और मेरा भय
भविष्य से भी
ज्यादा भयाक्रांत हो गया
वर्तमान इतना ही था मेरे पास
जितना मेरे पास अपना नाम था
तब मुझे ज्योति मिली
वह भी बांसुरी में
मुझे यही लगा की यही मेरी अपनी
खोयी हुई संस्कृति हैं
यही मेरी व्यकतित्व की कोई अभिन्न परिभाषा हैं
और मैं अपने स्व को
अपने आसमान को
कभी ज्योति में
कभी एक बांसुरी में
देखता हूँ .............
नीतीश मिश्र
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