तुम्हारी अनुपस्थिति में
मैं फ्यूज बल्ब की तरह
अपने होने की
बस रश्म अदायगी भर कर रहा हूँ ....
निहत्था हूँ .....
एक अर्धसत्य की तरह
कभी दीवालों में
कभी लोगों के खाली दिमाग में
एक शूल की तरह चुभता हूँ .......
खुदा से भी कोई
फरियाद नहीं हैं मेरी
बस मैं उसका शुक्रगुजार हूँ तो
बस इसबात के लिए कि
तुम भुलाए भी नहीं भूली
कभी इस दिल से ............
...........नीतीश मिश्र ....
मैं फ्यूज बल्ब की तरह
अपने होने की
बस रश्म अदायगी भर कर रहा हूँ ....
निहत्था हूँ .....
एक अर्धसत्य की तरह
कभी दीवालों में
कभी लोगों के खाली दिमाग में
एक शूल की तरह चुभता हूँ .......
खुदा से भी कोई
फरियाद नहीं हैं मेरी
बस मैं उसका शुक्रगुजार हूँ तो
बस इसबात के लिए कि
तुम भुलाए भी नहीं भूली
कभी इस दिल से ............
...........नीतीश मिश्र ....
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