Sunday 20 April 2014

मैं आखिरी रात प्रेमपत्र लिखता हूँ

जिंदगी की आखिरी रात में
मैं कुछ भी कर सकता हूँ
देवताओं से मिलकर
पूछ सकता हूँ उनका चरित्र
या मृत्यु के बाद जीवन का मूल्यांकन का सकता हूँ
या लम्बी -लम्बी कविताएँ लिख सकता हूँ
चाँद को हथेलियों से छूकर बता सकता हूँ
चाँद का स्वाद वर्फी जैसा होता हैं
या अपने को सबसे पवित्र घोषित कर सकता हूँ
या कई ऐसे लोगो से मिल सकता हूँ
जो मुझे एक विचार दे सकते हैं
या अपने सारे सपनों के साथ रात भर खेल सकता हूँ
बहुत सा धन कमा सकता हूँ
अपने विरोधियों को परास्त कर सकता हूँ ………
मैं देश को राजनीति का एक नया विकल्प दे सकता हूँ
या अपने शहर की बीमारी को खत्म कर सकता हूँ
लेकिन ! मैं ऐसा कुछ भी नहीं करता
अपने मन पसंद का खाना खाता हूँ
और देर तक अँधेरे में चक्कर लगाता हूँ
और अँधेरे के एक छोर को पकड़कर
प्रेयसी के मुस्कुराते हुए चेहरे को थामता हूँ
और उसे एक प्रेमपत्र लिखता हूँ
इस उम्मीद से की प्रेमपत्र में शामिल हो जाए उसके लिए वह तमाम खुशियां
जिनके बगैर वह खुद को बार - बार कमजोर समझती हैं । ।

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