Friday 18 April 2014

मैं तुम्हारे बारे में सोचते हुए मरता हूँ

मैं जब कभी तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
थोड़ी देर गुदगुदी होती हैं
और शर्म के साथ एक हंसी आती हैं
और मैं फूल की तरह एक रंग में ढलकर
अपने अंदर कुछ देर तक साँस भरता हूँ तुम्हारे नाम का
और कुछ देर के लिए सागर बन जाता हूँ ।
मैं अँधेरे में बैठकर
तुम्हारा एक चित्र बनाता हूँ
और तुम्हारे बारे में कुछ सोचता हूँ
एक दिन रिपोर्ट आएगी
मैं तुम्हारे बारे में सोचता हुआ
मर गया
किसी के बारे में सोचते हुए मरना
जीवन का एक अध्याय सरीखे होता हैं । ।

No comments:

Post a Comment