कहते हैं जब सारी दुनियां सो रही थी
तब मेरे गाँव के खुन्नू बाबू
अपने बाहर / भीतर जागने का अभ्यास कर रहे थे
उनकी इस कला को देखकर
कुत्ते भी सोना छोड़ दिए
और तभी से लोग कहते हैं कि
कुत्ते भी उसी समय से गांव में रात को भोंकना शुरू कर दिए
और आज -तक भोंकते आ रहे हैं ।
जब सारी दुनिया सोती थी
तब खुन्नू बाबू सपने की जाल बिछाकर
दावा करते थे की वे बहुत ही होशियार हैं
इसी क्रम में वे कभी - कभी अपनी आंत निकालकर धो लिया करते थे
एक दिन खुन्नू बाबू
जब पूरा गांव किसी ऊब में डूबा हुआ था
तब खुन्नू बाबू मौके का फायदा उठाते हुए अपना दिमाग भी ठन्डे पानी से धो दिए
उसी दिन से उनके दिमाग की तुलना
लोग - बाग पीपल के पत्ते से करने लगे ।
गनीमत हैं की हमारे यहाँ लोकतंत्र हैं
नहीं तो खुन्नू बाबू किसी राजा के सलाहकार होते
लेकिन ! खुन्नू बाबू अपनी टूटती हुई हवेली को देखकर
अपने भीतर स्वीकार कर लेते हैं कि
क्या हुआ आज उनकी कोई पूछ नहीं हैं
लेकिन किसी ज़माने में उनके पूर्वजो की तो पूछ थी
खुन्नू बाबू का दिमाग इतना तेज था कि
कब्रिस्तान में सोये हुए मुर्दे भी घबराते थे
खुन्नू बाबू कई बार सोये हुए मुर्दो को जगाकर उन्हें दूसरी जगह भी शिफ्ट कराए थे
उनके दिमाग की देन हैं कि
कचहरी में वकीलो का कारोबार इस बीच काफी तेजी से चल रहा हैं ।
खुन्नू बाबू ने एक नया प्रयोग किया
एक कपड़े को वे तीन दिन सीधा पहनते हैं और तीन- दिन उल्टा
और अब अपनी आत्मा को वे सीधा और उल्टा करने में लगे हुए हैं
उनका मानना हैं कि अगर वे इस कला में माहिर हो गए तो वे एक दिन राजा जरूर बन जायेंगे ।
गांव के लोग परेशान हैं
अगर खुन्नू बाबू अपने प्रयोग में सफल हो गए तो
गांव के सारे मुर्दे अपना घर छोड़कर भाग जायेंगे । ।
तब मेरे गाँव के खुन्नू बाबू
अपने बाहर / भीतर जागने का अभ्यास कर रहे थे
उनकी इस कला को देखकर
कुत्ते भी सोना छोड़ दिए
और तभी से लोग कहते हैं कि
कुत्ते भी उसी समय से गांव में रात को भोंकना शुरू कर दिए
और आज -तक भोंकते आ रहे हैं ।
जब सारी दुनिया सोती थी
तब खुन्नू बाबू सपने की जाल बिछाकर
दावा करते थे की वे बहुत ही होशियार हैं
इसी क्रम में वे कभी - कभी अपनी आंत निकालकर धो लिया करते थे
एक दिन खुन्नू बाबू
जब पूरा गांव किसी ऊब में डूबा हुआ था
तब खुन्नू बाबू मौके का फायदा उठाते हुए अपना दिमाग भी ठन्डे पानी से धो दिए
उसी दिन से उनके दिमाग की तुलना
लोग - बाग पीपल के पत्ते से करने लगे ।
गनीमत हैं की हमारे यहाँ लोकतंत्र हैं
नहीं तो खुन्नू बाबू किसी राजा के सलाहकार होते
लेकिन ! खुन्नू बाबू अपनी टूटती हुई हवेली को देखकर
अपने भीतर स्वीकार कर लेते हैं कि
क्या हुआ आज उनकी कोई पूछ नहीं हैं
लेकिन किसी ज़माने में उनके पूर्वजो की तो पूछ थी
खुन्नू बाबू का दिमाग इतना तेज था कि
कब्रिस्तान में सोये हुए मुर्दे भी घबराते थे
खुन्नू बाबू कई बार सोये हुए मुर्दो को जगाकर उन्हें दूसरी जगह भी शिफ्ट कराए थे
उनके दिमाग की देन हैं कि
कचहरी में वकीलो का कारोबार इस बीच काफी तेजी से चल रहा हैं ।
खुन्नू बाबू ने एक नया प्रयोग किया
एक कपड़े को वे तीन दिन सीधा पहनते हैं और तीन- दिन उल्टा
और अब अपनी आत्मा को वे सीधा और उल्टा करने में लगे हुए हैं
उनका मानना हैं कि अगर वे इस कला में माहिर हो गए तो वे एक दिन राजा जरूर बन जायेंगे ।
गांव के लोग परेशान हैं
अगर खुन्नू बाबू अपने प्रयोग में सफल हो गए तो
गांव के सारे मुर्दे अपना घर छोड़कर भाग जायेंगे । ।
जब सारी दुनिया सोती थी
ReplyDeleteतब खुन्नू बाबू सपने की जाल बिछाकर
दावा करते थे की वे बहुत ही होशियार हैं
इसी क्रम में वे कभी - कभी अपनी आंत निकालकर धो लिया करते थे
क्या लिखते हो भाई ............ कहने के लिए शब्द ही नहीं !!