बाजार से लौटते हुए
मायूसी को अपने ऊपर ओढ़कर
अंदर ही अंदर रोता हूँ
अब बाज़ार से नहीं खरीद पाता हूँ
जीने के लिए थोड़ी - बहुत खुशियाँ
बाज़ार अब ऐसी डाइन हो गयी
जिससे मैं इस कदर डर जाता हूँ
घर से बाहर नहीं निकलता हूँ ।
जब मैं बाजार से घर आता हूँ
झोले को देखकर
माँ मेरी जिंदगी के लिए दुआ करने लगती हैं
माँ अब चूल्हे के पास बहुत अधिक समय नहीं गुजारती
बाजार ने छीन लिया मुझसे वह तमाम खुशियां
जिन्हे देखकर मैं खुश हो जाता था
बाजार से आज तक नहीं खरीद पाया
उसके लिए कोई भी सामान
इसके बावजूद भी वह खुश हैं
की उसके जिंदगी में बाजार का कोई हस्तक्षेप नहीं हैं ॥
मायूसी को अपने ऊपर ओढ़कर
अंदर ही अंदर रोता हूँ
अब बाज़ार से नहीं खरीद पाता हूँ
जीने के लिए थोड़ी - बहुत खुशियाँ
बाज़ार अब ऐसी डाइन हो गयी
जिससे मैं इस कदर डर जाता हूँ
घर से बाहर नहीं निकलता हूँ ।
जब मैं बाजार से घर आता हूँ
झोले को देखकर
माँ मेरी जिंदगी के लिए दुआ करने लगती हैं
माँ अब चूल्हे के पास बहुत अधिक समय नहीं गुजारती
बाजार ने छीन लिया मुझसे वह तमाम खुशियां
जिन्हे देखकर मैं खुश हो जाता था
बाजार से आज तक नहीं खरीद पाया
उसके लिए कोई भी सामान
इसके बावजूद भी वह खुश हैं
की उसके जिंदगी में बाजार का कोई हस्तक्षेप नहीं हैं ॥
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