Tuesday 15 April 2014

अब मैं कुछ भी नहीं सोच पाता हूँ

अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
अपने मोहल्ले के सबसे ईमानदार आदमी के बारे में
किसी भी शख्स को रोते हुए देखकर अब
मैं कुछ भी नहीं सोच पाता हूँ.……
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
कि  कल सूरज उगेगा की नहीं
अगर उगेगा भी तो कैसा लगेगा
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
की बिना मौसम के बारिश होने से किसी को तक़लीफ़ होती हैं की नहीं
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
गरीब आदमी के प्यार के बारे में
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
देश आगे बढ़ेगा तभी तो हमारा कुनबा आगे बढ़ेगा
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
शहर में हजारों भिखारी कैसे सोते होंगे
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ अपने गाँव के सुख्खू के बारे में
जो बच्चो को सपना बुनना सिखाते थे ।
अब मैं नहीं सोच पाता एक बच्चा कैसे अकेले अपनी तक़दीर बनाता हैं
अब मैं नहीं सोच पाता सिगरा पर अब लवंगलत्ता कैसा बनता होगा
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
मेरी प्रेयसी मुझसे कितना प्यार करती हैं ।
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
जब मेरे सपनों की हत्या हुई थी तब मैं कैसे चिल्लाकर रोया था
अब मैं नहीं सोच पाता
अपनी गली की सबसे सुन्दर लड़की के बारे में
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ की
लड़कियां घर छोड़कर क्या भाग रही हैं ।
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
अपने पड़ोसी के बारे में
जो अपनों को ही बेवकूफ बनाता हैं
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ
मेरे मोहल्ले का कौन सा लड़का छोटी जाति की लड़की से शादी किया था
अब मैं नहीं सोच पाता हूँ अपने दोस्त के बारे में जिसने कभी स्कूल का मुंह नहीं देख पाया
अब मैं नहीं सोच पाता जिला अस्पताल किसी जेल के सरीखे जैसे क्यों हैं
अब मैं कुछ भी नहीं सोच पाता हूँ
क्योकि रात में मेरे कानो में
जारा की आवाज गूंजती हैं
जो बनारस में दिन रात मेरे लिए और अपने लिए आतताई से लड़ रही हैं
वह रात भर मेरे कानो में चिल्लाती हैं
और कहती हैं तुम देश का संविधान पकड़कर बैठो
मैं तो आतताई से लड़ती रहूंगी ।
अब मैं कुछ भी नहीं सोच पाता हूँ
क्योकि मेरा सपना च्रकव्यूह में चारो और से अब घिर चूका हैं । ।

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