बनारस में आतताई के आने से
औरते रात भर गालियां देती हैं
डर के रंग में खुद को रंगी हुई अपने बच्चों के लिए
लगातार दुवाएं कर रही हैं ……
प्रेमिकाओं ने तय कर लिया हैं
अबकी बार वो वोट नहीं करेगी
आतताई ने आकर लूट लिया हैं
बनारस की फिजाओं की महकती खुशबू को
गंगा भी अब अपवित्र हो चुकी हैं
मंदिरो / मस्जिदो से अब नहीं आती हैं कोई आवाज
बच्चे डर के मारे अँधेरे में बना रहे हैं अँगुलियों से खिलौने
सदियों से बोलता हुआ बनारस शहर आज खामोश हैं
और बनारस की ख़ामोशी बयां करती हैं कि
हिंदुस्तान का भविष्य अब खतरे में हैं
लेकिन ! इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह हैं की
बनारसी आतताई का चेहरा भी नहीं पहचानते
लेकिन आतताई के विचारो को बहुत पहले वे नंगा देख चुके हैं ।
औरते रात भर गालियां देती हैं
डर के रंग में खुद को रंगी हुई अपने बच्चों के लिए
लगातार दुवाएं कर रही हैं ……
प्रेमिकाओं ने तय कर लिया हैं
अबकी बार वो वोट नहीं करेगी
आतताई ने आकर लूट लिया हैं
बनारस की फिजाओं की महकती खुशबू को
गंगा भी अब अपवित्र हो चुकी हैं
मंदिरो / मस्जिदो से अब नहीं आती हैं कोई आवाज
बच्चे डर के मारे अँधेरे में बना रहे हैं अँगुलियों से खिलौने
सदियों से बोलता हुआ बनारस शहर आज खामोश हैं
और बनारस की ख़ामोशी बयां करती हैं कि
हिंदुस्तान का भविष्य अब खतरे में हैं
लेकिन ! इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह हैं की
बनारसी आतताई का चेहरा भी नहीं पहचानते
लेकिन आतताई के विचारो को बहुत पहले वे नंगा देख चुके हैं ।
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