Wednesday 16 April 2014

अब मुझे खबर नहीं रहती

अब मुझे खबर नहीं रहती
मेरे पड़ोस में कौन रह रहा हैं
मुझे अपने कमरे से आदमी कम
कपड़े / कूलर और एसी ज्यादा दिखाई देता हैं
ऐसे मैं मुझे यकीन नहीं होता कि मेरे देश की जनसंख्या कैसे अरबो तक पहुँच गई ।
अब मुझे जानकारी नहीं रहती की मेरे पड़ोस की कौन सी लड़की को बाजार में छेड़ा गया था
अब मैं नहीं जान पाता हूँ
मेरे आस -पास रहने वाले बच्चे कहाँ विलुप्त हो गए
अब मैं केवल इतना जानता हूँ
सुबह उठकर मुझे दफ्तर भागना हैं
और शाम की थकान अपनी जुबां के साथ बांटना हैं
अब मैं केवल इतना जानता हूँ की कौन सी सड़क पकड़कर मैं दफ्तर आराम से जा सकता हूँ
अब मैं जानता हूँ
मेरे शरीर में कोई बीमारी नहीं हैं
लेकिन मंहगाई नामक बीमारी से जकड़ा जरूर हूँ
अब मुझे खबर नहीं रहती हैं की कौन सा शहर जल रहा हैं
और कौन मर रहा हैं ।

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