जहां बच्चे भूल चुके है दूध का स्वाद
बच्चे सपनों में बना रहे है
कपड़े के लिए एक प्रस्ताव....
मां अंधेरे की शिला पर बैठकर बुन रही है
स्मृतियों का एक रंग- बिरंगा स्वेटर
जिससे उसकी आत्मा कुछ - कुछ गर्म हो सके
बच्चे पेड़ों के पास खड़ा होकर पूछते है-
क्या तुम कभी फलते थे?
हम तो जबसे देख रहे है तुम ठूंठ की तरह उदास हो।
बच्चे जब भूख से खुश होते है
तब कढ़ाई में भरते है
थोड़ी सी धूप और थोड़ी सी हवा
और इस कदर खूश होते है
जैसे उन्होंने आसमान को पा लिया हो।
बच्चे सपनों में बना रहे है
कपड़े के लिए एक प्रस्ताव....
मां अंधेरे की शिला पर बैठकर बुन रही है
स्मृतियों का एक रंग- बिरंगा स्वेटर
जिससे उसकी आत्मा कुछ - कुछ गर्म हो सके
बच्चे पेड़ों के पास खड़ा होकर पूछते है-
क्या तुम कभी फलते थे?
हम तो जबसे देख रहे है तुम ठूंठ की तरह उदास हो।
बच्चे जब भूख से खुश होते है
तब कढ़ाई में भरते है
थोड़ी सी धूप और थोड़ी सी हवा
और इस कदर खूश होते है
जैसे उन्होंने आसमान को पा लिया हो।
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