Sunday, 20 September 2015

हम छिपायेगें मौत की खबर को

हम छिपाकर रखेंगे अपनी मौत की खबर को
हम छिपायेगें अपनी ईमानदारी
और बचे रहेंगे कुछ देर तक
किसी की याद बनकर
कोई देखेगा कुछ दिन तक रास्ता
हमे अपनी मौत की खबर को दबा कर रखनी होगी
जिससे बचा रहेगा चाय वाले का कुछ देर तक विश्वाश
जिससे जीवित रहेगी मेरी कमीज
जो दर्जी के यहाँ महीनो से पड़ी हुई हैं।
हमे अपनी मौत की खबर को छुपानी होगी
जिससे बची रहे
कुछ देर के लिए
उम्मीदें!

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