Friday 11 September 2015

तुम कहां हो भाई!

तुम कहां हो भाई!
अब वो लोग हिंदी में सपना देखना शुरू कर दिए
जबकि तुम हिंदी- हिंदी करते- करते मर गए
तुम तो हिंदी में उसी दिन मर गए थे
जब महानगर में प्रेमपत्र लिख रहे थे
तुम कहां हो भाई
जब हिंदी वो लोग बोलेंगे
जो हिंदी में रो नहीं सकते
जो हिंदी में गाली नहीं दे सकते
जो हिंदी में प्यार नहीं कर सकते
तुम कहां हो भाई
समाजवाद के पीछे तो नहीं भाग रहे हो,
तुम्हारे समाजवाद से भी हिंदी गायब हो चुकी है
तुम्हारे धर्म से भी हिंदी गायब हो चुकी है
तुम्हारे देवता भी नहीं सुन रहे है हिंदी में प्रार्थना
तुम बस जाने जाओंगे
वह भी तब जब तुम मर जाओंगे
या मार दिए जाओंगे
तब दिखाई देंगे
हिंदी के गिद्ध आसमान में उड़ते हुए
और लोकतंत्र के नाम पर मनाएंगे
तुम्हारे मौत का उत्सव
और फिर चले जाएंगे लोकतंत्र को बचाने
कहां हो भाई
दिल्ली के मोर्च पर
या अयोध्या के बियाबान में भटक रहे हो।।
नीतीश मिश्र

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