Friday 11 September 2015

हम दुःखी थे

हम दुःखी थे
तभी यह धरती हमे विरासत में मिली
और आज भी हम दुःखी हैं
जब हमसे हमारी विरासत छीनी जा रही हैं
आज हमारे पास विरासत के नाम पर
चन्द पन्नों का इतिहास हैं
और चन्द कुछ ऐसे चेहरे हैं
जिन्हें हम अपनी परछाई बनाने में लगे हुए हैं
हम हारे हुए लोग हैं
और हारे हुए का कोई चेहरा नहीं होता ।।
नीतीश मिश्र

No comments:

Post a Comment