Friday 11 September 2015

वो आएगा

वो आएगा
वो कभी भी
किसी भी रास्ते आ सकता हैं
हत्यारा
तुम्हारी कविता में बिंब बनकर आ सकता हैं
तुम्हारे दिमाग में तनाव बनकर आ सकता हैं
तुम्हारी थाली में अभाव बनकर आ सकता
हत्यारा अब तुम्हारे विचार में आ सकता हैं
हत्यारा खेतों में खाद और पानी के रूप में आ सकता हैं
हत्यारा बीमारी बनकर तुम्हारे देह में आ सकता हैं
हत्यारा अख़बार में एक खबर की तरह आ सकता हैं।
हत्यारे का तुम कुछ नहीं कर सकते
क्योकि हत्यारा जानता हैं
तुम जीना भी चाहते हो और भोंकना भी ।।
तुम हत्यारे से अब नहीं लड़ सकते हो ।

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