कविता कैसे लिखूं
जब पास में नून नहीं
तेल नहीं
प्याज नहीं
यहाँ तक की दाल भी नहीं
कविता में जब यह सब गायब हैं
समझिये कविता घर में नहीं हैं
कविता फिर बैठी हैं
कहीं सोफे पर
हमे कविता में लाना होगा
फिर वहीं नून /तेल / तरकारी
फिर कविता हसेंगी
कविता बोलेगी
और एक हथियार की तरह
हमारे पास रहेगी ।
यदि कविता में
हम नून नहीं ला रहे हैं
तब हम खुद ही दलाल हैं
और अपनी कविता के हत्यारे भी।
हम कविता के हत्यारे बन जायेंगे
हम पर आरोप लगेगा
हमने पाठकों को भटकाया हैं।
जब पास में नून नहीं
तेल नहीं
प्याज नहीं
यहाँ तक की दाल भी नहीं
कविता में जब यह सब गायब हैं
समझिये कविता घर में नहीं हैं
कविता फिर बैठी हैं
कहीं सोफे पर
हमे कविता में लाना होगा
फिर वहीं नून /तेल / तरकारी
फिर कविता हसेंगी
कविता बोलेगी
और एक हथियार की तरह
हमारे पास रहेगी ।
यदि कविता में
हम नून नहीं ला रहे हैं
तब हम खुद ही दलाल हैं
और अपनी कविता के हत्यारे भी।
हम कविता के हत्यारे बन जायेंगे
हम पर आरोप लगेगा
हमने पाठकों को भटकाया हैं।
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