जब आसमान में सूर्योदय होता हैं
घर में बाप के साथ झाड़ू भी जागती हैं
बाप आसमान को पकड़कर
चौखट पर बैठ जाता हैं
और डाकिए का रास्ता देखता हैं
जबसे बेटी गई हैं शहर
बाप उदास होकर खड़ा हैं
बेटी की चिठ्ठी आती हैं
बाप बेटी की परेशानियां जानकर मौन हैं
फिर भी बेटी बाप की उम्मीद हैं
इसलिए बाप खुश हैं
यह सोचकर की एक दिन बेटी की ऐसी चिठ्ठी आएगी
जिसमे लिखा रहेगा
पिताजी आज आपकी बेटी बहुत खुश हैं
यही पक्ति पढ़ने के लिए
बाप इंतजार कर रहा हैं
और बेटी शहर में दौड़ रही किसी रेलगाड़ी की तरह ।।
घर में बाप के साथ झाड़ू भी जागती हैं
बाप आसमान को पकड़कर
चौखट पर बैठ जाता हैं
और डाकिए का रास्ता देखता हैं
जबसे बेटी गई हैं शहर
बाप उदास होकर खड़ा हैं
बेटी की चिठ्ठी आती हैं
बाप बेटी की परेशानियां जानकर मौन हैं
फिर भी बेटी बाप की उम्मीद हैं
इसलिए बाप खुश हैं
यह सोचकर की एक दिन बेटी की ऐसी चिठ्ठी आएगी
जिसमे लिखा रहेगा
पिताजी आज आपकी बेटी बहुत खुश हैं
यही पक्ति पढ़ने के लिए
बाप इंतजार कर रहा हैं
और बेटी शहर में दौड़ रही किसी रेलगाड़ी की तरह ।।
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