Tuesday 28 April 2015

औरत जब नींद से जागती हैं

मेरे लिए
या शहर के लिए या घर के लिए
सूर्योदय तभी होता हैं
जब गांव या शहर की आखिरी महिला नींद से जागती हैं
एक स्त्री का नींद से जागना इतिहास की एक बड़ी घटना हैं
लेकिन सबसे अधिक शर्मनाक बात यह हैं की
इस घटना का जिक्र हमारे इतिहास के पन्नो में कहीं नहीं हैं
आखिरी स्त्री जब नींद  जागती हैं
तभी आसमान से साफ होता हैं धूल
तभी हवाओं में सुनाई देती हैं
अपनी हर आवाज
जब आखिरी औरत जागकर हसंती
तभी रंगरेज घोलता हैं
शब्दों में रंग
और रंग में शब्द
आखिरी औरत का नींद से जागना
सूचित करता हैं
अभी भी हम कुएं में ही हैं ॥
औरत जब नींद से जागती हैं
और बैठ जाती हैं रंगने
चूल्हे को
पुराने बर्तनो को जो अक्सर खो देते हैं अपना अर्थ
औरत जब नींद से जागती हैं
और सोचती हैं रोटी के बारे में
और बनाती हैं तवा पर रोटी
और सोचती हैं उस किसान के बारे में
जिसका चेहरा रोटी में दिखता हैं। ।

नीतीश  मिश्र

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