Wednesday 22 April 2015

अब खबर नहीं आती

सूरज के जागने से पहले
मुर्गा के होंश संभालने से पहले
नदी के सुंदर होने से पहले
हम लोगो के पास खबर होती थी
त्रिलोकी की!
और त्रिलोकी के पास खबर होती थी दुनियाँ जहाँ की
त्रिलोकी ने एक दिन
पूरे गाँव के सामने डंके की चोट पर कहा था -
कि इस दुनिया का सबसे कायर आदमी पढ़ा -लिखा व्यक्ति ही होगा !
उस दिन पूरे गाँव ने कहा था की
त्रिलोकिया पागल हो गया हैं ....
लेकिन ! मैने त्रिलोकी की आँखो मे देखा था
इतिहास को घूमते हुए ....
धरती को रोते हुए ....
पेड़ो को इंतजार करते हुए ....
बाँसुरी को मौन होते हुए ||
त्रिलोकी आख़िरी बार बोला था मुझसे
जब यह दुनिया बन रही थी
तब मैं बनती हुई दुनिया का साक्षी था
और अब ये दुनिया मर रही हैं
और तुम मरती हुई दुनिया के अवशेष हो ||
त्रिलोकी और मेरे बीच का यही संवाद आख़िरी था
शायद यह हम लोगो के बीच का एक सेतु था
जो अब टूट गया हैं या बिखर गया हैं
लेकिन इतना तो तय हैं
मेरे पास अब वैसी ख़बरे नहीं आती हैं
जैसी ख़बरे त्रिलोकी मुझे सुनाया करता था
त्रिलोकी के चलते ही मैं यह बात जान सका
की दिल्ली देवताओ का कबाड़खाना हैं ||

नीतीश मिश्र

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