अभी बचा हुआ हैं शहर
और आगे भी बचा रहेगा ....
क्योंकि अभी -अभी
मैंने शहर मे देखा हैं
छत पर एक लड़की को हँसते हुए ...
एक लड़की का हँसना बहुत ही शगुन भरा होता हैं
वह भी उस समय जब शहर की दीवारो पर अंधेरे का कब्जा हो
और शिकारी निकल पड़े हैं शिकार करने
ऐसे मे जब शहर मे तमाम कवि
अपनी कायरता को ओढकर लिख रहे हैं कविता
पंडित भविष्य के नाम पर लूट रहे हैं
डॉक्टर बीमारी का बहाना बनाकर
कर रहा हैं आत्मा की हत्या ....
ऐसे मे जब एक लड़की हँसती हैं
तो यही लगता हैं की अभी शहर मे फिरसे जलेगा एक चूल्हा
और
तैयार होगा एक मोची
और बनाएगा आदमी के पाँव के नाप का जूता ||
नीतीश मिश्र
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