अब मैं डरने लगा हूँ
सपने मे भी ....
क्योकि मैं जान गया हूँ
कभी भी मेरा चूल्हा
मेरी सायकिल
मुझे छोड़कर जा सकते हैं
अब मैं सपने मे देखता हूँ
मेरी कुर्सी टूट रही हैं
मेरी कितबे फटनी शुरू हो गई हैं
मेरी विचारधारा को दीमक चाटना शुरू कर दिया हैं
अब मैं डरने लगा हूँ
जिस लड़की के लिए कल तक मैं सपने देखता था
वह कहीं और मूर्त हो रही हैं
शायद ! अब अंत की शुरूवात हो गई हैं ||
सपने मे भी ....
क्योकि मैं जान गया हूँ
कभी भी मेरा चूल्हा
मेरी सायकिल
मुझे छोड़कर जा सकते हैं
अब मैं सपने मे देखता हूँ
मेरी कुर्सी टूट रही हैं
मेरी कितबे फटनी शुरू हो गई हैं
मेरी विचारधारा को दीमक चाटना शुरू कर दिया हैं
अब मैं डरने लगा हूँ
जिस लड़की के लिए कल तक मैं सपने देखता था
वह कहीं और मूर्त हो रही हैं
शायद ! अब अंत की शुरूवात हो गई हैं ||
नीतीश मिश्र
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