सोचता हूँ
लिखूं एक चिठ्ठी
उजरका आम को
और पुछू कहाँ से भरकर लाते थे
अपने अन्दर मिठास
जबकि तुम कभी मन्दिर भी नहीँ जाते थे ।
सोचता हूँ लिखू एक चिठ्ठी
अपनी पाठशाला के मास्टरों को
जो अक्सर मार -मार कर बताते थे
देवताओं से अधिक ताकत क़िताबों मे होतीं हैं ।
सोचता हूँ लिखू एक चिठ्ठी
अपने बगीचे को
जहाँ मैने पहली बार
एक लड़की का नाम लिखा था
अंगूठे से ।
सोचता हूँ लिखू उस लड़की को चिठ्ठी
जो दोपहर मे घर से भागकर आती थी
और अपनी गुड़िया और गुड्डे की शादी रचाती थीं ।
सोचता हूँ लिखूं एक चिठ्ठी
लट्टू को जिसको मै नचाता था
और आज मैं खुद एक लट्टू की तरह नाचता हूँ । ।
सोचता हूँ लिखू एक चिठ्ठी अपने
घर को जहाँ से माँ ने मुझे आसमान दिखाया था । ।
लिखूं एक चिठ्ठी
उजरका आम को
और पुछू कहाँ से भरकर लाते थे
अपने अन्दर मिठास
जबकि तुम कभी मन्दिर भी नहीँ जाते थे ।
सोचता हूँ लिखू एक चिठ्ठी
अपनी पाठशाला के मास्टरों को
जो अक्सर मार -मार कर बताते थे
देवताओं से अधिक ताकत क़िताबों मे होतीं हैं ।
सोचता हूँ लिखू एक चिठ्ठी
अपने बगीचे को
जहाँ मैने पहली बार
एक लड़की का नाम लिखा था
अंगूठे से ।
सोचता हूँ लिखू उस लड़की को चिठ्ठी
जो दोपहर मे घर से भागकर आती थी
और अपनी गुड़िया और गुड्डे की शादी रचाती थीं ।
सोचता हूँ लिखूं एक चिठ्ठी
लट्टू को जिसको मै नचाता था
और आज मैं खुद एक लट्टू की तरह नाचता हूँ । ।
सोचता हूँ लिखू एक चिठ्ठी अपने
घर को जहाँ से माँ ने मुझे आसमान दिखाया था । ।
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