Thursday, 15 May 2014

ज़ारा तुम पुरानी तस्वीरों में सपनों की मानिंद लगती हो

ज़ारा जब कभी तुम्हारी
पुरानी तस्वीरों को देखता हूँ
दिखाई देता हैं मुझे
अपना स्पर्श ………
तुम तस्वीरों में सपनों की मानिंद सुन्दर लगती हो
तस्वीरों में दिखाई देती हैं
सहजता ।
और जब कभी तुम्हारी नई तस्वीर उठाता हूँ
और झांकता हूँ तुम्हारे देह में
मांस के बड़े - बड़े लोथड़ों से बदबू आती हैं
अपने समय के हिंसा की
और मैं डर जाता हूँ
विज्ञानं और बाजार से ।
जो एक गुड़ियाँ को शहर की
सबसे प्रदूषित नदी बना दिए
अब मैं नहीं देखना चाहता हूँ कुछ भी नया ऐसा
जो सपनों को और जीवन को मारकर अपने समय का आईना बनाते हैं । ।

No comments:

Post a Comment