मेरे पास जो प्रेम था
वह अब किसी और के आँगन से
आसमान के टुकड़े को
मुंह में थामकर
मेरे उबड़ - खाबड़ धरातल के खिलाफ
मोर्चा खोलकर
मेरी दीवारों पर लगातार हँस रहा हैं ।
मेरे पास अब नहीं हैं इतनें सपने की
कह सकूँ कि अभी कुछ दिन और जिन्दा रहूंगा ।
अब मैं सपनों के बारे में कुछ सोचकर
नहीं चल पाता हूँ अपनी ही जमीन पर
जो हवाएँ हैं और जो रोशनी है
उसमे नहीं तराश पाता हूँ
अब कोई अपना चेहरा
अब मेरे पास नहीं हैं कोई ऐसा रास्ता
जिस पर चलकर सुन सकूँ कुछ अपनी आवाजे
और कुछ उसकी हंसी ।
अब जो मेरे पास हैं
वह उसके पास नहीं हैं ……
उसकी हँसी का रंग
उसका पत्र
उसकी कुछ कविताएँ ॥
वह अब किसी और के आँगन से
आसमान के टुकड़े को
मुंह में थामकर
मेरे उबड़ - खाबड़ धरातल के खिलाफ
मोर्चा खोलकर
मेरी दीवारों पर लगातार हँस रहा हैं ।
मेरे पास अब नहीं हैं इतनें सपने की
कह सकूँ कि अभी कुछ दिन और जिन्दा रहूंगा ।
अब मैं सपनों के बारे में कुछ सोचकर
नहीं चल पाता हूँ अपनी ही जमीन पर
जो हवाएँ हैं और जो रोशनी है
उसमे नहीं तराश पाता हूँ
अब कोई अपना चेहरा
अब मेरे पास नहीं हैं कोई ऐसा रास्ता
जिस पर चलकर सुन सकूँ कुछ अपनी आवाजे
और कुछ उसकी हंसी ।
अब जो मेरे पास हैं
वह उसके पास नहीं हैं ……
उसकी हँसी का रंग
उसका पत्र
उसकी कुछ कविताएँ ॥
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