बूढी औरतों के पास
आसमान का कोई टुकड़ा भी नहीं है
अपनी आँखों में वे अब चाँद भी नहीं देख पाती
बूढी हो रही औरतों के पांव के नीचे की जमीन
भी बूढी हो चुकी है
बूढी औरतों ने नकार दिया है
तुम्हारे लोकतंत्र को और तुम्हारी विचारधारा को
बूढी औरतों के लिए अगर कुछ सच है
तो उनका हाथ और उनका चूल्हा
अब लाल किले से कभी मत कहना की
हम आज़ाद है ।
आसमान का कोई टुकड़ा भी नहीं है
अपनी आँखों में वे अब चाँद भी नहीं देख पाती
बूढी हो रही औरतों के पांव के नीचे की जमीन
भी बूढी हो चुकी है
बूढी औरतों ने नकार दिया है
तुम्हारे लोकतंत्र को और तुम्हारी विचारधारा को
बूढी औरतों के लिए अगर कुछ सच है
तो उनका हाथ और उनका चूल्हा
अब लाल किले से कभी मत कहना की
हम आज़ाद है ।
No comments:
Post a Comment