Monday 30 May 2016

औरते रंग का केंद्र बनना चाहती है

सुबह सुबह 
एक औरत को पतंग की तरह
आसमान में उड़ते हुए देखता हूँ 
एक औरत को दोपहर में 
धूप में अपनी त्वचा को रंगते हुए देखता हूँ 
शाम को एक औरत को दरवाजे में तब्दील होते हुए देखता हूँ
रात में तीनों औरतों को
पसीनें में डूबते हुए देखता हूँ
औरते पसीने की परिधि से बाहर आकर
अपने रंग का केंद्र बनना चाहती है।।

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